इतिहास फिर से लिखना होगा
वीरों की गाथायें फिर से, बच्चों को बतलानीं होगी,
नहीं लिखी जो इतिहास में, फिर से सम्मुख लानी होगी।
गाँव गली और खलिहानों से, क़िस्सों को चुन कर लाना,
अमर रहे इतिहास काल का, पुस्तक में छपवानी होंगी।
लिखा गया जो काल पत्र पर, अमर वही रह पाता है,
पानी के ऊपर लिखा जो, पानी के संग बह जाता है।
लिख कर छप कर संरक्षित हो, इतिहास वही दोहराता है,
आने वाले कालखंड में, लिखा हुआ नज़ीर बन जाता है।
कब तक कोसें वाम पंथ को, मुग़लों की मक्कारी को,
कब तक मैकाले को गाली, जयचन्दों की ग़द्दारी को।
मीर जाफरों के क़िस्से, नालन्दा में बख्तावर ख़िलजी,
कब तक देशी अंग्रेजों को, दुश्मन से उनकी यारी को।
गौरवशाली इतिहास रहा है, इस पर सबको गौरव हो,
अंतरिक्ष के रहस्यों का सार, इस पर हमको गौरव हो।
ब्रह्माण्ड में छिपे रहस्य, ऋषि मुनियों ने शोध किये,
वसुधैव कुटुम्ब है सपना अपना, इस पर जग को गौरव हो।
हमने माना गाय को माता, वैतरणी पार कराती है,
कभी देखना ध्यान लगाकर, पानी मे नहीं टिक पाती है।
हमने ज़ीरो पर शोध किया, अनन्त का मान बताया है,
वैदिक गणनाओं के सम्मुख, दुनिया कहाँ रूक पाती है।
अंधे धृतराष्ट्र को संजय, रण भूमि पहुँचा देता है,
महलों में बैठे बैठे ही, युद्ध का हाल सुना देता है।
कैसे अभिमन्यु को घेरा, छल बल से सबने मारा,
कृष्ण उपदेश अर्जुन को, गीता सार सुना देता है।
वैमानिक शास्त्र रचा भारत में, हर युग में प्रयोग हुआ,
प्रकृति ही भगवान बतायी, मानवता हित उपयोग हुआ।
आयुर्वेद का सार वेद में, शल्य चिकित्सा के जनक हम,
वेदों में है सार सभी का, जन हित जो भी उपभोग हुआ।
कभी देखना देव प्रतिमायें, मन्दिर देवालय जाकर,
भ्रुण गर्भ में कैसा होता, चित्रित प्रस्तर दिवारों पर।
गगनचुंबी देवालयों में कैसे, असम्भव निर्माण हुये,
विज्ञान की खोज आज जो, कैसे प्रस्फुटित द्वारों पर।
— डॉ अ कीर्ति वर्द्धन