गीतिका/ग़ज़ल

गजल

जब भी जी चाहे मुलाकातें हो
तोड़ के दिल मेरा मुस्काते हो

जुर्म संगीन सजा तो मिलनी थी,
इश्क मौत से क्यूं मिलाते हो।

प्यार गहरा है ये बताया था हमें,
रोते अरमां को जो हंसाते हो।

टुटते ख्वाब को पहनाया कफन
रोके दुनिया को क्यों दिखाते हो

— वीणा चौबे

वीणा चौबे

हरदा जिला हरदा म.प्र.