गीत कोई मैं गाऊं
मन करता है
काव्य-मंच पर
गीत कोई मैं गाऊं
प्रेम का अलख जगाऊं
ज्ञान-ध्यान के गीतों से मैं
खुद को भी समझाऊं
सुख-दुःख में सम रहने की
कला सीख अपनाऊं
भेद की टूटें दीवारें मैं
ऐसा कुछ लिख पाऊं
आनंद का लहराए सागर
मैं उसमें रम जाऊं
मन करता है
काव्य-मंच पर
गीत कोई मैं गाऊं,
— लीला तिवानी