सूर्ययान आदित्य
सूर्यदेव तपलीन हैं, बीते अरबों वर्ष।
ठान लिया ‘आदित्य ‘ने, दर्शन करूँ सहर्ष।
सूर्यदेव के विषय में, पढ़ा शास्त्र – साहित्य।
खोज खबर लेने वहाँ, पहुँचेगा आदित्य।
जाएगा आदित्य सुत, सूर्य पिता के पास।
विंदु लैंग्रेज – एक से, राज खुलेंगे खास ।
निकट लैंग्रेज विंदु पर, नहीं गुरुत्व प्रभाव।
परखेगा ‘आदित्य’ अब, कैसा सूर्य स्वभाव।
सूर्य विषय में आंकड़े, कर आदित्य एकत्र।
क्यों धब्बे हैं सूर्य में, पढ़ेगा आदि – प्रपत्र।
पराबैंगनी रश्मियाँ, सौर पवन की चाल।
अब उपग्रह आदित्य ही, लेगा सबका हाल।
सूर्यदेव की कुंडली. बाँचेगा आदित्य
सकल जगत होगा मुदित, देख सौर – लालित्य।
भारत में अनुदिन बढ़ा, अंतरिक्ष विज्ञान।
मिटे धरा का दुख – कलह, तभी सफल अभियान।
इसरो को शुभकामना, जय – जय एस सोमनाथ।
सूर्य मिशन होगा सफल, जोड़ रहा जग हाथ।
— गौरीशंकर वैश्य विनम्र