कविता

जिंदगी में उतार-चढ़ाव एक खेल है

जिंदगी सुखों और दुखों का 

बहुत ही ख़ूबसूरत मेल है 

जिंदगी में उतार-चढ़ाव 

 बस एक ख़ूबसूरत खेल है 

दुख भी शरमा जाएगें 

यह कैसा माहौल है 

जियो अगर दुखों को खुशी से

जिंदगी में यह सबसे यह अनमोल है 

कभी ढेरों खुशियां आती है 

कभी गम आते बेमिसाल है 

घबरा जाए तो चुनौतियां से 

वह भी क्या इंसान है 

जीना सिखा दे बुरे वक्त में 

वही असल इम्तिहान है 

इम्तिहानो से भरी जिंदगी यही 

खूबसूरत मिसाल है

सिर्फ सुख या सिर्फ दुख ही 

जीवन में यह सरासर बेमेल है 

जिंदगी में उतार-चढ़ाव होते रहें 

बस यही तो खूबसूरत खेल है

जिस प्रकार दो पहियों से 

पटरी पर दौड़ती रेल है 

बस उतार-चढ़ाव जिंदगी के 

खूबसूरत खेल है 

— किशन सनमुख़दास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया