प्रजातंत्र – सत्ता परिवर्तन
पुराने जमाने की बात है। एक बहुत ही बड़ा वन्य प्रदेश था। नाम था उसका – फारेस्टलैण्ड। आधुनिक अधिकतर राज्यों की तरह फारेस्टलैण्ड में भी लोकतंत्रीय शासन पद्धति थी। साथ ही भारत और इंगलैण्ड की तरह संसदीय शासन प्रणाली भी। जिस प्रकार भारत में 28 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं, ठीक उसी प्रकार फारेस्टलैण्ड में भी 20 राज्य थे। जैसे सिंहभूमि, टाइगर स्टेट, सूकरगढ़, मूक राज्य, शशक राज्य, खगपुर, हस्तिनापुर, हिरण्यपुर, व्याघ्रप्रांत, सियारपुर इत्यादि।
लोकतंत्र में अंतिम सत्ता जनता के हाथों मे होती है। वही अपनी सरकार चुनती है। सिंहभूमि तथा टाइगर स्टेट की आबादी कम होने के कारण वहाँ स्वीट्जरलैण्ड की तरह प्रत्यक्ष प्रजातंत्र था जबकि अन्य राज्यों की आबादी अत्याधिक होने के कारण वहाँ भारत की तरह अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र या प्रतिनिधियात्मक प्रजातंत्र थी।
स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व प्रजातंत्र के मूलमंत्र हैं. इसलिए यहाँ की सभी जनता कानून या विधि के सामने समान थे। स्वतंत्रतापूर्वक कहीं भी घूम फिर सकते थे। उनके एक प्रांत से दूसरे प्रांत में आने जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं था। सभी मिल जुलकर रहते थे। शेर और हिरण एक दूसरे के कंधे पर हाथ डालकर सिर्फ चुनाव के समय ही नहीं; किसी भी समय घूमते देखे जा सकते थे। यहाँ शेर भी घास खाता था।
एक बार प्रधानमंत्री शेरसिंह अपने किसी काम से शशक राज्य गए हुए थे। अचानक उनकी दृष्टि हिरण्यपुर की राजकुमारी हरिणा पर पड़ी।
वहां हरिणा अपने पति हिरण्यकष्यप के साथ वहाँ हनीमून मनाने आई थी। शेरसिंह का जी ललचाया। सोचा- ‘‘सुना है हिरण का माँस बहुत ही कोमल और स्वादिष्ट होता है। मैंने तो जीवन में कभी चखा नहीं है। पर चाहूँ तो आज चखने को क्या पेट भर खाने को मिल जाएगा।’
उसने इधर-उधर देखा। किसी को न पाकर वह कुलाँचे भर रही हरिणा को दबोच लिया। शेरसिंह का दुर्भाग्य था कि हरिणा को खींचते हुए ले जाते समय उसे शशक राज्य का राजकुमार शशांक मिल गया। उसने शेरसिंह से कहा- ‘‘प्रधानमंत्री जी, ये आप क्या अनर्थ कर रहे हैं ? आप संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं। आप इसकी जीवन की स्वतंत्रता का हनन कर रहे हैं।’’
परंतु शेरसिंह पर तो कुछ और ही धुन सवार थी। उसने शशांक को भी मारना चाहा, पर दुर्भाग्य से वह उसे पकड़ न सका, क्योंकि शशांक एक बिल में घुस गया और वहीं से बोला- “मंत्री जी, आप भूल रहे हैं कि हमारे देश में प्रजातंत्रीय शासन प्रणाली है और अगर हम चाहें तो आपकी सरकार को जब चाहे तब हटा सकते हैं।’’
शेरसिंह दहाड़ा- ‘‘अब चुप, बड़ा आया मुझे सत्ताच्यूत करने वाला।’’ और वह हरिणा को खींचते हुए एक गुफा में ले गया।
शशांक जब बाहर निकला तो उससे एक हिरण ने पूछा, “क्या आपने इधर किसी हिरणी को देखा है ?’’
शशांक ने पूरी कहानी उसे सुना दी। रोते-बिलखते हिरण्यकष्यप अपने राज्य लौटा और पूरी बात अपने पिता तथा ससुर को बतायी।
शशांक ने भी अपने पिता को शेरसिंह की कहानी बताई। अगले दिन देश के सभी प्रमुख समाचार पत्रों ने यह खबर छापी। आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी समाचार प्रसारित हुए। जगह रैलियाँ निकाली गईं। शेरसिंह के पुतले जलाए गए।
राष्ट्रपति जटायु ने देश की बिगड़ती हालत को देखकर संसद की आकस्मिक बैठक बुलाई। विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जो भारी बहुमत से पारित हो गया। शीघ्र ही देश में मध्यावधि चुनाव कराए गए, जिसमें सूकरमल की पार्टी भारी बहुमत से जीत गई जबकि शेरसिंह सहित उसके कई दिग्गज मंत्रियों की जमानत जब्त हो गई।
इस प्रकार फारेस्टलैण्ड में फिर से लोकतंत्र की बहाली हो गई।
— डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा