लाड़ली बेटियां!
माँ के आँचल की छाँव में पले, प्यारी, दुलारी बेटियां,
माता-पिता के हॄदय की मधुरिम झंकार बेटियां।।१।।
पलकों के पावड़े में, जतन से लालन पालन किया,
सुख से भरी झोली, प्रेम की शीतल छत्रछाया।।२।।
साँचा हो गर प्रेमी परवाना, प्यार पावन, प्रेम बंधन,
आशीर्वाद ले बुज़ुर्गों के, बनो पिया की प्रिया, हॄदय स्पंदन।।३।।
ध्यान रहे, छलके न मातपिता के आँखों से आँसू कभी,
दुख-पीड़ा, गम-दर्द, न हो मातपिता का अवमान कभी।।४।।
पलभर का आकर्षण, वासना, महज प्रेम का प्रलोभन,
प्रीत रेशम डोर, छूटे न संस्कार, परिवार, चारित्र्य बंधन।।५।।
पढ़ीलिखी, समझदार, आत्मनिर्भर, स्वयंसिद्धा हो तुम,
अपनी चाहत से जीने का ख्वाब, बेखौफ, बुनो तुम।।६।।
जीवनसाथी अपना चुनना, माना, अधिकार हैं तुम्हारा,
बहकावे में आकर, खिलवाड़ न हो, संस्कार हैं हमारा।।७।।
कोमल, कमसिन कली तुम, लुटे न कोई सिरफिरा भ्रमर,
प्रेमजाल में फंसाकर, अरमान तुम्हारे करे न तार-तार।।८।।
भेड़िये विविध रंगी भेष धार, बैठे लूटने की ताक में,
हवस का शिकार बना, नोंच न ले, फंसा प्रेमपाश में।।९।।
बिटिया, पाँखें खोल, भर लो ऊँची उड़ान, उन्मुक्त गगन में,
भूल न जाना प्यार-सम्मान, स्नेह-दुलार, प्यार के खेल में।।१०।।
ReplyForward |