क्षणिका
नित्य भोर का नया उजाला,
नित्य निशा का है अंधियार,
हार को ‘गर उपहार बनालें,
खुशियां मिलती असीम-अपार,
नित्य करें तुलना ‘गर खुद से,
चमके विजय का नव उजियार.
स्वरचित और मौलिक
— लीला तिवानी
नित्य भोर का नया उजाला,
नित्य निशा का है अंधियार,
हार को ‘गर उपहार बनालें,
खुशियां मिलती असीम-अपार,
नित्य करें तुलना ‘गर खुद से,
चमके विजय का नव उजियार.
स्वरचित और मौलिक
— लीला तिवानी