कविता

जल्दी चले आना

अब इतना भी न परेशान होकल सुबह चले आनाबिल्कुल न हड़बड़ानाअपने सारे कामसूकून से निपटाकरशांतभाव से आना।वैसे भी कोई जल्दी नहीं हैइतना जरुरी भी नहीं हैकि आज ही आ जाओयह और बात हैकि आना जरूरी है,आज मुश्किल है तोसुबह चले आनाअपराधबोध मत करनाबस आ जानाकोई बात नहीं हैतुम आराम से आनापर हंसते मुस्कुराते हुए आनाऔर सुबह जल्दी चले आना।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921