जलाओ दिया
दौलत की दुनियां, यहां दिख रही है
अदा बिक रही है, वफा बिक रही है
है सौदागरी का चलन इश्क में भी
अब तो यहां पर कजा बिक रही है
आरजू भी सजी अरमां भी टंगे हैं
खरीदो यहां हर खुशी बिक रही है
तिजारत लुटाओ पटाकों पर तुम भी
यहां हर जगह फुलझड़ी बिक रही है
जलाओ दिया या दिल को जला लो
अतिशी से भरी हर नजर बिक रही है
मुफलिसों का यहां पर्व होता नही है
दिवाली उन्हे अब कहां दिख रही है।
यहां पर है फैला कोई ‘‘राज’’ देखो
जीनत पे यहां दुनियां झुक रही है