नन्हीं सी कलियां अलबेली!
रुमझुम-रुमझुम पायल छनकाती,
खनखन-खनखन कंगना खनकाती।।
छुई-मुई सी, चली सुहासिनी मतवाली,
प्यारी, दुलारी बिटिया रानी अलबेली।।
नटखट, नेह सागर भर-भर लायी,
प्रेम रस धार निर्मल छितराती आयी।।
प्रेम, प्रीत, अनुराग, स्नेहिल रेशम डोर,
आनंद, उल्लास, उजास ले आती भोर।।
घर-आँगन की शोभा, दिल का स्पंदन,
घंटियों का निनाद, मधुर गीत गूँजन।।
पापा की परियां, माणिक- मोती लड़ियाँ,
माता की परछाई, नन्हीं-सी कलियां।।
दिल की धड़कन, सहेजो प्रेमभाव से,
स्वाभिमानी, जिये सदा आत्मविश्वास से।।
रहें सुरक्षित हर मोड़ पर बालिकाएं,
सुशिक्षित, कल्याणी, स्वयंसिद्धा बन पाएं।।
— चंचल जैन