गजल
मन करे आजमा लो हमे ।
दिल से अपना बना लो हमे ।
बेवजह कुछ नही बोलते,
आइना तुम बना लो हमें ।
हो खतावार अब मानलो,
हो सके तो मना लो मुझे ।
गुल बिछाऊँ तेरी राह में ,
लाख चाहे सता लो हमें ।
बक्श दूं हर तुम्हारी खता,
प्यार से गुनगुना लो हमें।
टूट कर हम बिखर जाएंगे
गर्दिशी से बचा लो हमें ।
हो मुकम्मल ‘मृदुल’ ज़िंदगी,
काश समझो सँभालो हमें ।
— मंजूषा श्रीवास्तव ‘ मृदुल’