गीतिका/ग़ज़ल

नज्म

जिंदगी तुझमें ठहर न जाए कहीं

इश्क़ में हद से गुजर न जाए कहीं

बज़्म में अपने बुलातो हो बार-बार 

दर्द ए दिल फिर उभर न जाए कहीं 

जो आग सुलग रही बहक उठेगी

हवा का झोंका गुजर न जाए कहीं 

हर कदम पर मुश्किल से हालात हैं

डर  कर जज़्बात  मर न जाए कहीं 

यह ज़ुल्म की बात जमाना सुन लेगा

देखना इल्ज़ाम मेरे सर न जाए कहीं 

मुझसे मेरे हालात पर जिरह न कर

सामने देख आँखें  भर न जाए कहीं 

— सपना चन्द्रा

सपना चन्द्रा

जन्मतिथि--13 मार्च योग्यता--पर्यटन मे स्नातक रुचि--पठन-पाठन,लेखन पता-श्यामपुर रोड,कहलगाँव भागलपुर, बिहार - 813203