कविता

नाराज़गी

जहां प्यार है वहां तकरार भी होता है

नाराजगी भी होती है उसका इज़हार भी होता है

थोड़ी देर की नाराजगी तो बर्दाश्त हो जाती है

ज्यादा देर हो जाये तो फिर दर्द बेशुमार  होता है

कई बार गलतफहमी में हम हो जाते हैं नाराज़

नाजुक होते हैं रिश्ते जो हो जाते हैं बर्बाद

यदि गलती अपनी है तो मांग लीजिये माफी

सूखता पेड़ रिश्तों का हो जाएगा आबाद

गलती अपनी हो या दूसरे की

सबके मन में पहुंचाती है ठेस

अपनी को तो ढकने की करते हैं कोशिश

दूसरों की हो अगर तो करते हैं क्लेश

छोटी मोटी गलतियों को कर दीजिए नज़रंदाज़

दूर जो चले गए हैं बुलाइये उनको देकर आवाज

झुकने से कोई छोटा नहीं बन जाता

बचा लीजिये रिश्तों को न हो जाएं बर्बाद

— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र