कथक नृत्यांगना
आँखें बोलती हैं
होंठ चमकते हैं
गाल लाल हैं
मुँह मुस्करातता है
हाथ झुकते हैं
पैर थिरकते हैं
नितंब ताल पर मटकता है
कहानी रचते हुए
आनंद बाँटती है
कविता का रचयिता : नदीक दिल्शान सिल्वा, श्री लंका
आँखें बोलती हैं
होंठ चमकते हैं
गाल लाल हैं
मुँह मुस्करातता है
हाथ झुकते हैं
पैर थिरकते हैं
नितंब ताल पर मटकता है
कहानी रचते हुए
आनंद बाँटती है
कविता का रचयिता : नदीक दिल्शान सिल्वा, श्री लंका