धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

जीवन क्षणभंगुर है…..।

मानव जीवन क्षणभंगुर है। यह एक बार यदि हाथ से निकल जाए तो इसे पुनः प्राप्त करना किसी के भी वश में नहीं है। इसलिये इस मिले हुए जीवन का हमें सदुपयोग कर लेना चाहिए। अपनी आत्मा के हित के लिये, अशुभ कर्मो की निर्जरा के लिये एवं धर्म में पुरुषार्थ करने के लिये हमें सदैव जाग्रत रहना चाहिए। शरीर की शक्ति क्षीण हो, उससेे पहले ही हमें अपनी साधना को मजबूत कर लेना चाहिए। इसके लिए हम अपनी इन्द्रियों को वश में रखें एवं गलत बोलने व गलत खाने से बचें। महापुरुष हमें बार-बार यहीं समझाते है कि-‘‘हे जीव! तू अनन्त काल की मोह निंद्रा से जाग एवं अपने महत्त्वपूर्ण समय को ऐसे ही बर्बाद मत कर।’’
पाप प्रवृत्तियों से कमाया एवं इकट्ठा किया हुआ धन हमें तारने वाला नहीं है। ऐसा धन कमाने से कितने ही जीवों से हमारा वैर बंध जाता है। साथ ही आज तक जो भी पुण्यवानी हमारी बंधी हुई थी वह भी चली जाती है तथा अशुभ कर्मो का भी बंध होता जाता है। ऐसे धन को कमाने का सिर्फ एक ही कारण है और वो है इन्सान का मोह एवं लालच। यह धन हमें बचाने वाला नहीं है, अतः हम नादान न बनें, मोह माया में न फंसें। आज का मानव धन, सम्पत्ति, परिजन के मोह में यदि आसक्त हो जाता है तो वह अहं वश पाप प्रवृत्तियों में प्रवृत्त होता जाता है। वह जानते हुए को भी नहीं जानना चाहता, गलत देखते हुए को भी नहीं देखना चाहता।
मोह व स्नेह के बंधन बहुत ही खतरनाक होते है। इन सभी बंधनों को हमें ही तोड़ना है। इसके लिए स्वयं भी बंधन में नहीं रहना एवं अन्य को भी ऐसे बंधन में नहीं डालना चाहिये। हमें प्रमाद की बोली, बातें, व्यवहार इन सब को छोड़ना है। संसार की वस्तुओं को इकट्ठा करना, व्यवहार निभाना, संसार में सुख मानना सब प्रमाद के कार्य है। ए.सी., कूलर, गर्मागर्म व नरम-नरम भोजन हम सबको अच्छा लगता है। लेकिन साथ में इनकी एक शर्त भी है कि तुम रहना सदैव हमारी कैद में ही। यदि हमें इनकी कैद से मुक्त होना है एवं अपने कृत कर्मों को खपाना है तो निरन्तर सामायिक, स्वाध्याय, प्रतिक्रमण, तप, प्रवचन श्रवण, कार्योत्सर्ग इत्यादि साधना-आराधना करनी चाहिए।
इसके लिए अपने निज ज्ञान का आदर, अपनी धार्मिक शक्ति का सदुपयोग एवं साधना को मजबूत करें। जो छोड़ने योग्य है और जिसे छोड़ सकते है, उन्हें अवश्य छोड़ें। अशुभ कर्मो के सामने घुटनें नहीं टेके।

— राजीव नेपालिया (माथुर)

राजीव नेपालिया

401, ‘बंशी निकुंज’, महावीरपुरम् सिटी, चौपासनी जागीर, चौपासनी फनवर्ल्ड के पीछे, जोधपुर-342008 (राज.), मोबाइल: 98280-18003