कविता

रावण उवाच

अभी अभी मेरे मन का रावण 

निकलकर अट्टहास करने लगे,

जिसे देख मुझे थोड़ा डर लगने लगा,

मैंने खुद को संभाला और रावण से पूछ बैठा

तू पागल तो नहीं हो गया,

चैन से मनमानी करते हुए क्या ऊब गया है?

रावण ने शराफत का प्रदर्शन किया

मेरी बात को सम्मान दिया

और थोड़ा मुस्कुरा कर कहा

मान्यवर ऐसा कुछ भी नहीं है

मुझे आप पर तरस भी आ रहा है।

कितने भोले बनते हो तुम

रावण का चरित्र रखते हो

और रावण को ही धौंस दिखाते हो।

अब मुझसे रहा न गया-तू क्या बोल रहा है

मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है।

तब रावण तिरछी नजरों से देखते हुए कहने लगा

महोदय इतना पाक साफ तो आप नहीं है

रावण को पालते भी हैं

फिर भी झूठ बोल रहे हैं।

कम से कम इतना तो नीचे न गिरो

रावण की जगह लेने की कोशिश भी न करो,

वैसे भी तो काम तुम खुद रावण जैसे कर रहे हो

और बेवजह रावण को बदनाम कर रहे हो।

अरे शर्म करो आज के इंसानी रावण

माँ आदिशक्ति को नौ दिनों से पूज रहे हो

कितना मान दे रहो हो

हर साल वो तब पता चल ही जाता है,

जब मां को विदाई के नाम पर

विसर्जन के लिए ले जाते हो,

तब कितने सम्मान से विसर्जित करके आते हो

ये तो तुम खुद ही बेहतर जानते हैं 

अखबार, टीवी और सोशल मीडिया में

तुम्हारी करतूतों के किस्से पढ़ने, सुनने में

देखने में आ ही जाते हैं

पर आप तनिक भी नहीं शरमाते हो?

अब अपनी व्यथा सुनाता हूँ

रावण का पुतला बड़ी शान से जलाते हो

पर आज की सीता को वो सम्मान 

भला क्यों नहीं दे पाते हो

जो रावण राक्षस होकर भी

अपहरण करने के बाद भी

अशोक वाटिका में सीता को देता रहा,

तुम्हारे मन के रावण का ये गुण कहाँ गया?

उस रावण की तुलना अपने रावण से करते हो

हद है भाई रावण से भी सौ गुना ज्यादा बेरहम बनते हो।

उस रावण के आसपास भी नहीं ठहरते हो

फिर भी अपनी बेहयाई पर मुस्कराते हो

और हर साल रावण को जलाने का नाटक करते हो।

ईमानदारी से कहूँ तो दुनिया को बेवकूफ बनाते हो

अपने रावण का उस रावण से परिचय कराते हो

पर अपने रावण को कभी नहीं जला पाते हो

क्योंकि रावण को ही अपना गुरु मानते हो

पर सच्चे शिष्य तक बनने का 

हौसला भी नहीं कर पाते हो

और रावण बध का बहाना श्री राम को बनाते हो।

शरम करो कि तुम लोग देवी देवताओं को भी

भरमाने पर अपनी ही पीठ थपथपाते हो,

यह कैसी विडम्बना है

कि रावण को हर साल जलाने के बाद भी

रावण को मार नहीं पाते हो। 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921