कविता
उनके पहलू से खुश्बू ए ग़ज़ल आती है।
उड़ते भौंरों की नीयत मचल जाती है ।।
इस दिल के मौसम का हाल है कुछ ऐसा ।
वो पहलू में आएं तो रुत बदल जाती है।।
वफा के बदले तोहमतें और बेवफाई ।
दर्द मोहब्बत पे यह कैसी फसल आती है।।
बेशक उनसे मिलना जुलना छोड़ दिया है।
मगर याद उनकी फिर भी पल पल आती है।।
यह मोहब्बत का कैसा करिश्मा है यारों।
जिक्रे यार से ही तबीयत बहल जाती है ।।
दिल में फिर कोई गीत गाता है खुश्बू के ।
यूं कोई नदी पहाड़ में कलकलाती है ।।
याद की चिंगारी दिल में जब भी उठती है।
नादां दिल की धरा फिर से दहल जाती है।।
इक नमी सी पलकों पे ठहर सी जाती है ।
नाज़ुक पंखुड़ियों से शबनम फिसल जाती है।।
यूं ही न डरा कीजिए मुश्किलों से यारों।
हरेक मुश्किल बताकर कोई हल जाती है ।।
— अशोक दर्द