भरोसा
न मौसम का भरोसा
न इंसान का कोई भरोसा है
कब बदल जाये
दोनों
कोई नहीं इसका भरोसा
दो कदम साथ चलें
कब राह बदल जायें
कब धूप खिल जाये
कब बदली बन छा बरस जाये
न मौसम का भरोसा
न इंसान का कोई भरोसा है
कब बदल जाये
दोनों
कोई नहीं इसका भरोसा
दो कदम साथ चलें
कब राह बदल जायें
कब धूप खिल जाये
कब बदली बन छा बरस जाये