दोहे
पाठक की हर टिप्पणी ,होती बेहद खास।
खूबी कमियों का सदा,करवाती अहसास।।1
तेल जले बाती जले,कुछ भी बचे न पास।
दीप सतत तम से लड़े,लिए जीत की आस।।2
विचलित जो होता नहीं,रहता बनकर दीप।
अंधकार आता नहीं,उसके कभी समीप।।3
जला वर्तिका नेह से ,तम को हरे चिराग।
बना हुआ दृष्टांत है,जग में उसका त्याग।।4
बात एक सच्ची खरी,मित्र सुनो दो टूक।
ईश्वर से होती नहीं, किसी काम में चूक।।5
देशज शब्दों में छिपी ,होती एक मिठास।
त्याज्य नहीं ये अंग हैं,हिंदी के अति खास।।6
डाॅ बिपिन पाण्डेय