गीतिका
हम तेरे इश्क में खुद को,भुलाए बैठे हैं ।
इसलिए सारी दुनिया के, सताए बैठे हैं।
अब तो रंजो गमों की बात नहीं
खुशियों की महफिल सजाए बैठे हैं।
मुझे अपनो की कोई चाहत नहीं
दिल तो बेगानो से लगाए बैठे हैं।
नींद आंखों में अब नही आती
उनको ख्याबों में बुलाए बैठे हैं।