कलम दवात
भगवान चित्रगुप्त जी के हाथों शोभायमान
कलम दवात इंसानों के धर्म कर्म का
लेखा जोखा लिखने के काम आता है,
उनके वंशज कायस्थों के लिए पूज्य होता है।
कलम दवात शिक्षा दीक्षा का अभिन्न हिस्सा है
लेखन कर्म का सबसे बड़ा हिस्सा है
लेखन को आधार देता है
शैक्षणिक पुस्तकें हों या धार्मिक ग्रंथ
हर तरह की पुस्तकों और कवियों लेखकों की
कल्पनाओं को धरातल पर उतारने का
सबसे बड़ा हथियार है।
कलम दवात न होता तो
दुनिया में शिक्षा का विकास न होता
नई जानकारियां, ज्ञान विज्ञान का प्रकाश न होता।
कलम दवात का परिणाम है कि
आज हम नित ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहे हैं,
कला साहित्य संस्कृति या विज्ञान हो
या नव तकनीकों का अनवरत बढ़ता जाल हो,
कलम दवात के बिना कुछ संभव नहीं था।
इसीलिए कदम दवात भैया दूज के दिन पूजा जाता है
इसी को आधार मानकर
भगवान चित्रगुप्त जी का भी पूजन किया जाता है।
कहने को तो ये कायस्थों का पूजन कर्म है,
जबकि वास्तविकता तो यह है
कि हर शिक्षित व्यक्ति को कलम दवात ही नहीं
भगवान चित्रगुप्त जी का पूजन अनिवार्य है
पर हमारे देश तो विडंबनाओं से ही आगे बढ़ता है,
धर्म कर्म पूजा पाठ में भी भेद करता है।