कविता

बुलंद हैं हौसले मेरे

आंखों में सतरंगे सपने सुनहरे,

सबल मैं, बुलंद हैं हौसले मेरे।।

सतत अभ्यास, अथक प्रयास,

श्रमसाफल्य से जीत का विश्वास।।

ज्ञान-मोतियों से भरूँ भण्डार,

शिक्षा, कला कौशल झंकार।। 

योग, ध्यान से स्वस्थ हो जीवन,

सुख, शांति, पाऊँ आनन्द-धन।।

लक्ष्यप्राप्ति हेतु हो कठिन साधना,

यशप्राप्ति की पूरी हो मनोकामना।।

होगा पथ कंटीला, चुभेंगे शूल,

कोशिश से पग-पग खिले फूल।।

दृढ़ निश्चय, हिम्मत से सपने हो पूरे,

अभावों में भी बुलंद हैं हौसले मेरे।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८