कविता

प्रण करो‌ नए साल‌ में

जाग उठो न कर विलंब,नवभोर है उल्लास की।

प्रण करो  नव साल में, दृढ़ आत्म   विश्वास की।

रह गये  हैं  काम  अधूरे, पूरी करो  मन कामना।

फौलाद  बन  चट्टान  सा, कष्टों से करो सामना। 

कदम   डगमगाएं  नहीं,  झंझावात  तूफ़ान  हो। 

बढ़ते रहो लड़ते  रहो, दिल से  अभी जवान हो। 

मंज़िल मिलेगी एक दिन, हो कामना  आस की। 

प्रण करो नव साल में, दृढ़  आत्म   विश्वास की।

गिर गये तो फिर से उठो, हौसले सदा बुलंद हो।

सरिता  सा  आगे  बढ़ो, नहीं वेग कभी  मंद हो। 

चलता जो मन में  ठान के, पा लेता है छोर  को। 

हर परिस्थिति में ढाल ले,समझे वक्तके दौर को। 

सदा भीतर संबल बनो , गर हो घड़ी निराश की। 

प्रण करो नव साल में, दृढ़  आत्म   विश्वास की।

स्वार्थ सदा ही त्यागिये, मनोरथ  हो  भलाई का। 

समभाव की नजर रहे, न भेद अपनी पराई  का। 

निर्धन  और   बेसहारे,  लीजिए   सदा  साथ  में। 

कठोर निर्णय व्यवस्था ,  लीजिए अपने  हाथ में। 

रहें   नहीं  दुर्दिन   यहाँ, न घड़ी  रहे  हताश  की। 

प्रण करो  नव साल में, दृढ़  आत्म   विश्वास की।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995