गीतिका
नटवर नागर पुनः सुना दो,मीठी मुरली तान।
अधरों पर फिर लगे तैरने,प्यारी सी मुस्कान।।1
जीवन समर जीतना मुश्किल,चिंतित दिखता पार्थ,
एक बार प्रभु बनो सारथी, दे दो गीता ज्ञान। 2
प्रणय निवेदन तुम स्वीकारो,दे दो थोड़ा प्यार।
बात बात पर करना छोड़ो, भौहें तीर कमान।3
मन- मंदिर में बसा हुआ है,तेरा प्यारा रूप,
ठुकराया तो मिट जाऊँगा,कर इसका अनुमान।4
धन का अर्जन करते रहिए,चलकर सच्ची राह,
संचय करना उचित नहीं है, देते रहिए दान।5
कैसी अजब व्यवस्था ढुलमुल, समझ न आती रीत,
सबको भोजन जो देता वह,भूखा मरे किसान।6
नेक राह पर सदा चलें सब,करें न कोई भूल,
रहें परस्पर प्रेम भाव से,दो सन्मति भगवान।7
डाॅ. बिपिन पाण्डेय