निष्कर्ष
कितना समझाया था सखियों ने सीमा को, कि किसी से अपेक्षा मत रखो, पर खुद की उपेक्षा भी मत करो. वह खुद भी अनेक कहानियों में ऐसा लिख चुकी थी. लेकिन उस पर तो सबकी नजरों में अच्छा बने रहने का ही भूत सवार था, सो खुद की चिंता करने की बात उसने कभी सपने में भी नहीं सोची. नतीजा सामने आया मानसिक तनाव और शारीरिक उत्पीड़न के रूप में! छः महीने अस्पताल में भुगतने के बाद उसने निष्कर्ष निकाला कि, “सबकी सुनो साथ ही अपनी भी कहो- हद से ज्यादा खामोशी भी अच्छी नहीं होती, सबका ध्यान रखो पर खुद की उपेक्षा की कीमत पर नहीं!”
— लीला तिवानी