लघुकथा

निष्कर्ष

कितना समझाया था सखियों ने सीमा को, कि किसी से अपेक्षा मत रखो, पर खुद की उपेक्षा भी मत करो. वह खुद भी अनेक कहानियों में ऐसा लिख चुकी थी. लेकिन उस पर तो सबकी नजरों में अच्छा बने रहने का ही भूत सवार था, सो खुद की चिंता करने की बात उसने कभी सपने में भी नहीं सोची. नतीजा सामने आया मानसिक तनाव और शारीरिक उत्पीड़न के रूप में! छः महीने अस्पताल में भुगतने के बाद उसने निष्कर्ष निकाला कि, “सबकी सुनो साथ ही अपनी भी कहो- हद से ज्यादा खामोशी भी अच्छी नहीं होती, सबका ध्यान रखो पर खुद की उपेक्षा की कीमत पर नहीं!”

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244