कविता

अलबेली बसन्त

हवाएं सनन सनन बहती जाती।

चुपके से कानों में मीठा कुछ कहती जाती।।

बसंत आयी खुशियों की बहार लायी।

जीवों से सरगम संगीत सहार लायी।।

पेड़-पौधे महके सारे।

डाल-डाल पंछी चहके सारे।।

अलबेली बसन्त बन जा मेरी सहेली।

ना कर मुझ से यूं अटखेली।।

शीतल हवा बनी प्यारी सहेली।

रही ना वह भी अब तो अकेली।।

डाल-डाल झूमकर गीत गाए।

एक-दूजे को गले लगाए।।

रंग-बिरंगे फूल खिले हैं।

एक-दूजे को गले मिले हैं।।

धरती का हर एक कोना खिला है।

ऐसा मौसम ढूंढे को मिला है।।

कभी तेज हवा का झोंका आता।

नन्ही कलियों को दुःख पहुंचाता।।

चांदनी रात संग तारे गुपचुप बतियाएं।

अपने-अपने राग साज समझाएं।।

बसंत अपना सारा रंग दिखाए।

करूणा, प्रेम का पाठ सिखाए।।

बादल नभ में उमड़़-उमड़ आएं।

पीड़ा वियोग मिलन अति सताएं।।

बसंत आए पतझड़ बन जाए नवेली।

मैत्री, प्रेम सब एक पहेली।।

बसंत आयी, अलबेली बसंत आयी।

जीवों से सरगम संगीत सहार लायी।।

जब आए बसंत की फुहार।

खुशी संग लाए और अद्भूत उपहार।।

पींग पराग एक दूजे में चूर।

प्यार से देख ना यूं घूर।।

मधुर राग सुनावे मोर, कोयल आज।

मन मस्त है सुर लय ताल सब एक साज।।

— डॉ. सुरेश जांगडा

डॉ. सुरेश जांगडा

पिता का नाम : श्री औमप्रकाश सम्पर्क : गांव व डाकखाना-चुलियाणा, जिला-रोहतक (हरियाणा) कवि व लेखक ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुडे रहकर बीस साल तक "भारतीय वायुसेना" में राष्ट्रसेवा का कर्त्तव्य निभाते हुए सनातन आर्य भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति-प्रेमी कवि हृदय व्यक्ति हैं। आपने वायुसेना से सेवानिवृति के पश्चात छ: साल तक खाद्य एवं पूर्ति विभाग में उपनिरीक्षक के पद पर कार्य किया। आपने हिन्दी विषय से स्नातकोत्तर, एम. फिल, पीएच.डी की उपाधियां अर्जित की हैं। इसके साथ आपने हिन्दी विषय में यूजीसी नेट, एचटेट व बीएड की परीक्षाएं भी उत्तीर्ण की हैं। वर्तमान में आप राजकीय महाविद्यालय सांपला रोहतक में हिन्दी के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हैं। लेखक के विभिन्न राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय शोध-जर्नलों में अब तक 40 शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। लेखक की अब तक पांच पुस्तकें पुस्तकें प्यार का पथ अटपटो, हिन्दी साहित्य की दशा और दिशा, हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा के विविध आयाम, चिन्तन, कोरोना काल अवसर या अभिशाप व भारतीय साहित्य में गीतोपदेश का स्थान प्रकाशित हो चुकी हैं। हिन्दी व हरियाणवीं में कविताएं लिखते हैं।