लघुकथा

चेहरे का रंग

राजेंद्र और उनकी पत्नी अस्पताल में बहू को देखने आए थे।  बहू प्रसूति कक्ष में दाखिल थी।

गाँव के अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं थी। पति- पत्नी की नाराजगी उन दोनों के चेहरे पर झलक रही थी।

कुछ ही मिनटों के बाद प्रसूति कक्ष से एक नर्स बाहर आई और सूचना दी, “बधाई हो  पोती हुई है।”

 दोनों के चेहरे सफेद पड़ गए।

— निर्मल कुमार दे

निर्मल कुमार डे

जमशेदपुर झारखंड [email protected]