उपहार
-: उपहार :-
ऑफिस से लौटते ही मैंने कहा- ‘‘गोलू बेटे ! कल आपका जन्मदिन है। कल आप पूरे बारह साल के हो जाओगे। इस बार आपको पापाजी से उपहार में क्या चाहिए ? बाजार से क्या-क्या सामान और कितना लाना है, मम्मी से सलाह करके लिस्ट तैयार कर लो।’’
आशा के विपरीत गोलू गंभीरतापूर्वक बोला- ‘‘पापाजी मैं कुछ और ही सोच रहा हूँ। कल हमारे स्कूल के सभी विद्यार्थी उरी में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों की सहायता के लिए चन्दा एकत्रित कर रहे थे तो मुझे लगा कि क्यों न मैं अपने जन्मदिन की पार्टी में खर्च होने वाली राशि इसमेें दे दूँ। वैसे भी सब कुछ तो है मेरे पास। और एक साल अपना जन्मदिन पहले की तरह न भी मनाऊँ, तो क्या फर्क पड़ेगा ?’’
उसकी बातों से मुझे जो प्रसन्नता हुई, उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। सचमुच जिस देश के नैनिहाल ऐसे ऊँचे विचार रखते हों, उसका एक पाकिस्तान तो क्या पूरी दुनिया वाले मिलकर भी बाल तक बाँका नहीं कर सकते।
डाॅ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़