खबर लेके जो आये,ओ बेखबर नजर आये
बेचैनी तभी तक, जब तक नजर आये
ओझल हुए जब से, ओ न इधर आये
ख्यालों के खीसे से, यहाँ सब गुम हो चुका
मुद्द्तों के बाद फिर , यहाँ ओ मगर आये
धुंधला सा एक अक्स, नजर आता दयार में
जगमगाती दुनियाँ में, ओ उजड़ा शहर लाये
राहों के “राज” को यहां, समझना बड़ा कठिन
हर मोड़ पर यहाँ नये, रहनुमा नजर आये
जम चुकी अब धुल, बीरानेपन के साये में
खबर लेके जो आये,ओ बेखबर नजर आये
राजकुमार तिवारी “राज”