कविता

खबर लेके जो आये,ओ बेखबर नजर आये

बेचैनी तभी तक, जब तक नजर आये

ओझल हुए जब से, ओ न इधर आये

ख्यालों के खीसे से, यहाँ सब गुम हो चुका

मुद्द्तों के बाद फिर , यहाँ ओ मगर आये

धुंधला सा एक अक्स, नजर आता दयार में

जगमगाती दुनियाँ में, ओ उजड़ा शहर लाये

राहों के “राज” को यहां, समझना बड़ा कठिन

हर मोड़ पर यहाँ नये, रहनुमा नजर आये

जम चुकी अब धुल, बीरानेपन के साये में

खबर लेके जो आये,ओ बेखबर नजर आये

राजकुमार तिवारी “राज”

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782