शार्टकट
शार्टकट
उनका लेखन बहुत अच्छा तो नहीं, पर ठीक-ठाक ही था। अक्सर स्थानीय अखबारों की रविवारीय अंक में उनकी रचनाएँ दिख जाती थीं। कभी-कभार राष्ट्रीय स्तर की अखबारों और संकलनों में भी। गद्य और पद्य की लगभग सभी विधाओं में उन्होंने कलम चलाया।
बचपन से ही निरंतर लिखते हुए पचपन तक पहुँचने पर उन्हें लगा कि वे जिस स्तर की रचनाकार हैं, उनकी ख्याति उस स्तर की नहीं है।
काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखना शुरु किया। इसमें उन्होंने अपने एक समकालीन प्रख्यात साहित्यकार और संपादक जो अब यह दुनिया छोड़ चुके थे, पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा दिया।
आत्मकथा का वह अंश सोसल मीडिया में वायरल होने के बाद वे कुछ ही दिनों बहुचर्चित रचनाकार हो गई थीं। अब वे स्थानीय साहित्यिक कार्यक्रमों में मंच की शोभा बढ़ाने लगीं। वे प्रकाशक, जो कभी उनसे सीधे मुँह बात तक नहीं करते थे, अब उन्हें छापने को आतुर थे।
- डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़