अज्ञात वीर महिमा (आल्हा छन्द)
अज्ञात वीर हैं बड़े लड़ैया, जिनकी मार सही ना जाय।
एकै मारै दुइ मर जावैं, तीजौ ख़ौफ़ खाय मर जाय॥
जेहादी या खालिस्तानी, सबको भेज रहे परलोक।
आतंकवाद पै आजु लगी है, दुनिया भर में पक्की रोक॥
कोई मारौ गोली बम से, कोई दुर्घटना में जाय।
कोई पहुँच गयौ दोज़ख़ में, ज़हर मिली बिरयानी खाय॥
कनाडा और अमरीका तक में, जाय कर रहे मारा-मार।
देश पड़ौसी पाकिस्ताँ में, मची भई है हाहाकार॥
जहाँ जहाँ भारत के दुश्मन, रहें करें आतंकी काम।
वहीं जाय कें वीर हमारे, करते उनका काम तमाम॥
जान बचाय फिरैं आतंकी, जैसें चूहा बिल में जाय।
गई भाड़ में बहत्तर हूरें, कुत्ते भागैं पूँछ दबाय॥
किसी देश में शरण मिलै ना, जिनकी ऐसी हैं करतूत।
अभिनन्दन अज्ञात बहादुर, भारत माँ के सच्चे पूत॥
— बीजू ब्रजवासी