धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अयोध्या में किसका मंदिर बन रहा है?

क्या भगवान “राम” का? नहीं, क्योंकि वे स्वयं परमात्मा स्वरूप हैं, सारा जगत ही उनका मंदिर है।
क्या राजा रामचन्द्र जी का? नहीं, क्योंकि पृथ्वी पर कई राजा आये और गए, बड़े बड़े सम्राट आये और गए, सब अपने आलीशान महलों को यहीं छोड़के चले गए।
क्या भाजपा के जय श्रीराम का? नहीं, क्योंकि इस मंदिर के लिए पिछले 500 सालों से अब तक लाखों लोगों ने लड़ाइयां लड़ी हैं और अपनी जानें गंवाई है। आज तक विश्वभर के करोड़ों गैर राजनीतिक लोग राम मंदिर बनने का सपना देखते आ रहे हैं।
तो फिर ये मंदिर बन किसका रहा है? यह मंदिर बन रहा है “हिंदू अस्मिता” का, जिसे सैकड़ो वर्षों से रौंदा जा रहा था। हिंदू आत्म सम्मान का, जिसे लगातार ठेस पहुंचाई जा रही थी। उदार हिंदुओं की गरिमा और गौरव का, जिसे आतताइयों ने बेरहमी से कुचला था कभी। यह मंदिर हिंदू पुनर्जागरण का प्रतीक है। हिंदू पुनरुत्थान की उद्घोषणा है। हिंदू आत्म विश्वास के पुनः उठ खड़े होने का सूचक है। प्राचीन अस्त हिंदू सभ्यता के उदय होने का शंखनाद है। लाखों हिंदू-सिक्ख-जैन-बौद्ध बलिदानियों के लिए श्रद्धांजलि है ये मंदिर।

यह मंदिर उन परमपिता परमेश्वर श्री राम का मंदिर है जो प्रत्येक हिंदू के हृदय में इस श्रद्धा विश्वास के रूप में विधमान थे कि एक दिन उनका भी दिन आएगा और वे पुनः अपनी खोई हुई शक्ति दर्प और स्वाभिमान को वापस प्राप्त कर लेंगे। सभी श्री राम भक्त हिन्दू २२ जनवरी २०२४ को अपने अपने घरों में रामायण का पाठ करें, दिए जलाएं, शंखनाद करें, घंटियाँ बजाएं, कीर्तन-भजन करें, ढोलक मृदंग डमरू इत्यादि जो कुछ भी जिनके पास जो है वह बजाएं इससे पूरी दुनियां को संदेश जाएगा कि हिंदू जाग गया है, हिंदुओं के एक नए युग का प्रारंभ हो चुका हैं।
🙏जय श्रीराम