क्षणिकाएँ
1- कल्पना का संसार
कल्पना से आकांक्षा उपजै,
आकांक्षा से आविष्कार,
आविष्कार से फिर आकांक्षा हो,
आकांक्षा से कल्पित संसार।
कल्पना के संसार को,
अल्पना का संसार बनाना है,
कुछ तो सजा दिया विधना ने,
कुछ सायास सजाना है।
2-
जीवन का सफर
जीवन के सफर में,
चले थे हम अकेले,
कारवां बनता गया,
लगते गए मेले।
बाधाओं को भी चूमते,
झूम झूम राही चले,
सौभाग्य भी साथी बना,
साथी मिलते रहे अलबेले।
— लीला तिवानी