क्षणिका

क्षणिकाएँ

1- कल्पना का संसार
कल्पना से आकांक्षा उपजै,
आकांक्षा से आविष्कार,
आविष्कार से फिर आकांक्षा हो,
आकांक्षा से कल्पित संसार।
कल्पना के संसार को,
अल्पना का संसार बनाना है,
कुछ तो सजा दिया विधना ने,
कुछ सायास सजाना है।

2-

जीवन का सफर
जीवन के सफर में,
चले थे हम अकेले,
कारवां बनता गया,
लगते गए मेले।
बाधाओं को भी चूमते,
झूम झूम राही चले,
सौभाग्य भी साथी बना,
साथी मिलते रहे अलबेले।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244