सर्द हवाएं
जाड़े का ठिठुरन
ये सर्द हवाएं
कोहरे चादर ताने
सूरज को छुपाती
न दिन है न रात है
कैसी ये अदाएं है
प्रातः ओस की बूंदे
मोती बन गिरते है
हरे घास की क्यारियों में
लगते सबसे न्यारे है
ये जाड़े की रातें
बृद्धों को सताएं
न आग है न धूप है
बस ओस की बूंद है
जाड़े का ये मौसम
सबको बड़े सताते।
— बिजया लक्ष्मी