गंगा मईया सब दुख दूर करेगी
मांघ मेला आ गया है। गांव का रेला ही रेला भगा चला जा रहा है। गंगा मईया के दर्शन के लिए,एक डुबकी लेने के लिए ये देखो बुढ़िया माई गठरी सिर पर रखे हाथ में झोला लिए हुए गंगा गीत गाते हुए संगम तट पर जा रही है ।आस्था विश्वास के संगम गंगा में एक पवित्र डुबकी के लिए जाता यह रेला बहुत खुश नजर आ रहा है। आज गंगा मईया का शुभ दर्शन होगा। गंगा मईया सब दुख दूर करेंगी।
जय हो गंगा मईया की। नारा लगाते हुए भक्तो की भीड़ ही भीड़ है। सब लोग भागे चले जा रहे है। बहुत मजा आ रहा है। छोटे बच्चे, बड़े, बूढ़े, जवान, औरतो का झुंड देखकर लग रहा है कि मानो पूरा स्वर्ग नगरी बस गई है जहां लोग इस स्वर्ग नगरी का दर्शन करने चले आ रहे हैं ।
गंगा मईया के दर्शन के लिए भीड़ ही भीड़ है। एक डुबकी लेने के बाद दूसरी डुबकी लेते हुए मोहनलाल चिल्लाया – जय हो गंगा मईया की। बुढ़िया माई इस ठंडे पानी में एक डुबकी लगाई। ठंड के कारण दूसरी डुबकी नही लगाई। खूब मजा आ रहा है डुबकी लगाने में। लाखो की संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई। मजा आ गया। जय हो गंगा मैया की।
पूरा संगम की रेती पर टेंट ही टेंट। रात में जलती लाइट बड़े बड़े साधु संतो का जमावड़ा। जगह जगह चल रहे धार्मिक सभा। जगह जगह हो रहे भंडारा। लोग प्रसाद का आनंद ले रहे हैं। जगह जगह लोग प्रर्दशनी का आनंद ले रहे है। कोई जलेबी खा रहा है तो कोई पूड़ी सब्जी तो कोई चाट पकौड़ा खा रहा तो कोई पानी पूरी। कोई खिलौना खरीद रहा है तो कोई घर गृहस्थी का सामान ही खरीद रहा है। कोई भक्ति के रंग में डूब कर आनंद ले रहा है।
सरकारी इंतजाम कर दिया गया है। पुलिस बल तैनात है।बिजली की पूरी व्यवस्था है। मंदिर सजे है। साधु संत लोग डटे हैं। पूरा संगम की रेती पर तम्बू का बसा दिया गया है पूरा शहर। गांव क्या शहर के लोग भी जमकर गंगा मैया का दर्शन कर रहे हैं। जय हो गंगा मईया की। सब पाप धो देना गंगा मईया। जय हो गंगा मईया।
— जयचन्द प्रजापति “जय, प्रयागराज