गीत/नवगीत

गीत

मन मुदित अरु भावनाएं हैं मुखर हर व्यक्ति की |
है सुखद पल जय विजय है फिर सनातन शक्ति की |

बन गया मंदिर अयोध्या नाथ श्रीपति राम का |
हो रहा है आज वन से आगमन सियाराम का |
राम का अभिषेख सपना देखती हर दृष्टि की
मन मुदित —-

जनवरी बाईस होगा फिर महा उत्सव यहां |
दीपमाला से सजेगा देश का घर-घर यहां |
राष्ट्रभक्ति राम भक्ति विजय भगवदभक्ति की |
मन मुदित —

चहुँ दिशाएं गा रहीं हैं हर्ष और उल्लास है |
राम धुन की गूँज से गुंजित धरा आकाश है |
तृषित मन सब कामना संतुष्टि अनुपम तृप्ति की |
मन मुदित —-

आ रहे हैं राम मेरे पथ निहारें दो नयन |
मन मृदुल दृग बिंदु झरते दरश को तरसे नयन |
बह रही मन्दाकिनी है भक्ति रस अनुरक्ति की |
मन मुदित

— मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016