प्राण प्रतिष्ठा और राम की माया
ज्यों ज्यों श्रीराम मंदिर अयोध्याधाम में
प्रभु श्रीराम जी के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की
शुभ घड़ी और नजदीक आ रही है,
लोगों के उत्साह और तैयारियों में
निरंतर तेजी भी बढ़ती जा रही है।
आखिर हो भी क्यों न
हम सबके ही तो प्रभु श्रीराम जी आ रहे हैं,
हमारे पूर्वजों, पुरखों और हमारे सपने
पांच दशकों बाद आखिर पूरे जो होने जा रहे हैं।
सब अपने अपने ढंग से प्राण प्रतिष्ठा में
योगदान देने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं,
राम काज में अपना सब कुछ झोंक दे रहे हैं
इसको अपना और अपने पुरखों का
बड़ा सौभाग्य भी मान रहे हैं।
जो हुआ या हो रहा है और जो आगे भी होगा
उसका आधार सिर्फ रामकृपा को ही मान रहे हैं,
वे सब राम को दिल में बसाए निष्काम भाव से
चुपचाप अपना कर्म, धर्म करते जा रहे हैं,
कुछ और न सही तो राम राम ही रट रहे हैं।
तो कुछ ऐसे अभागे भी हैं इस धरा पर
जो राम जी की तुलना अपने आप से कर रहे हैं,
स्वार्थी राजनीति और कट्टरपंथी विचारधारा से
अपने दुर्भाग्य को दावत देकर भी बड़ा इतरा रहे हैं,
रामजी की माया वे समझ ही नहीं पा रहे हैं,
तभी तो रामजी भी उन्हें अपने पास आने का
एकाध विकल्प भी नहीं दे रहे हैं।
राम की माया राम ही जाने की बात जो
समझकर भी समझना ही नहीं चाह रहे हैं,
वे सब राम काज और प्राण प्रतिष्ठा से
स्वमेव ही कोसों कोस दूर हो रहे हैं,
नैतिकता, सामाजिकता और समरसता विहीन होकर
धर्म, सनातन और हिन्दू संस्कृति संग
राम जी को भी वे निशाना बना रहे हैं,
खुद ही खुद को पाप के दलदल में ढकेल रहे हैं,
सत्ता और कुर्सी के लिए लठ्ठमलट्ठ कर रहे हैं।
राम, राममंदिर और प्राण प्रतिष्ठा को लेकर
अपना अपना ज्ञान बघारकर ब्रह्मज्ञानी होने की
आपस में ही होड़ कर रहे हैं,
आम जन की नजरों में गिरते जा रहे हैं,
पर वे सब यह बात कहाँ समझ रहे हैं?
उनकी ऐसी नादानी देख राम जी भी
मंद मंद मुस्कुरा रहे हैं
जय श्री राम के उद्घोष का भरपूर आनंद
बड़े आनंद में डूबकर आनंद से ले रहे हैं,
और साथ ही अपने आने को लेकर भी तैयारियां
कुछ न कुछ वे भी रोज ही कर रहे हैं,
आखिर करें भी क्यों न?
उनके भक्त उनके स्वागत का भव्य से भव्यतम्
इंतजाम और बेसब्री से प्रतीक्षा भी तो कर रहे हैं
रामजी का नाम रटते और बड़े भावुक हो रहे हैं,
क्योंकि अब तो उनके अपने राम जी
एक बार फिर से अपने सिंहासन पर
विराजमान होने अपने भवन, अपने धाम
और अपनों के बीच जो आ रहे हैं।