कविता

अयोध्याधाम

पांच दशकों का लंबा इंतजार
हम सबके साथ अयोध्या ने भी किया,
जाने क्या क्या सहा और सिर्फ झेला ही नहीं,
जाने कितने रंग, रुप गतिरोध देखे,
जाने कितनी पीड़ा सही, आंदोलन, संघर्ष देखा
प्रतिबंधों की दुश्वारियों से आहत हुई।
कानून और सुरक्षा की आड़ में
निर्दोष राम भक्तों की की निर्मम हत्या का दंश भी
मर्माहत होकर भी विवशतावश
आँखों में आसुओं की गंगा जमुना लेकर सही।
सत्ता की उपेक्षा का दोहरा मापदंड देखा
अपने निवासियों का डर और
और विकास का लालीपाप ही नहीं
सरयू की खामोशी के साथ बहती धारा और
राम जी की मर्यादा संग
राम के अनुयायियों, भक्तों का अटूट विश्वास
और बहुरंगी प्रयास और साधना सहित
अनवरत श्रृद्धा और विश्वास भी देखा,
उम्मीदों की चाह लिए अपने बच्चों को
दुनिया में आते और दुनिया से जाते देखा।
गंगा की जमुनी संस्कृति तहजीब की गवाह बनने के साथ
धर्मांधता की कट्टरता और अपनों की आंखों में डर
दहशत और अविश्वास का दौर भी देखा।
और अंततः अब वह दौर भी देख रही है
जब राम और राम की मर्यादा का विजयघोष हुआ
रामजी के भव्य राम मंदिर का निर्माण के साथ
और अयोध्या के चहुंमुखी विकास के
अविरल प्रवाह में आज अयोध्या फूली नहीं समा रही है,
अपने लाल की प्रतीक्षा में अयोध्या भी
पलक पांवड़े बिछाए भीगे पलकों से
अपने लाड़ले की राह अयोध्या भी देख रही है।
और अब जब अयोध्या को
“अयोध्याधाम” का गौरव मिल गया,
तब अयोध्या खुद पर इतना इतराने लगी,
राम के साथ अयोध्या खुद की भी पहचान
अयोध्याधाम के रुप में बतलाने लगी,
सारी दुनिया को अयोध्याधाम
अपने लाल राम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा में आने का
अक्षत निमंत्रण खुशी खुशी बांटने, बंटवाने लगी,
राम नाम की महिमा दुनिया को बताने लगी,
अयोध्या अब अयोध्याधाम बनकर आज
अब बहुत इतराने, मुस्कराने लगी,
अपने जागे भाग्य पर राम धुन गाकर नाचने गाने लगी।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921