गीतिका/ग़ज़ल

नव वर्ष

नव वर्ष कहो मेरी ख़ातिर क्या क्या सौगातें लाए हो

खुशियों के पल हैं या फिर से अश्कों की बारातें लाए हो

होठों पे खिलेंगी कुछ कलियां या आँखों में शबनम होंगे

गुज़रोगे फ़िराक-ए-ग़म से या कुछ मुलाकातें लाए हो

अंदाज़ नया होगा तेरा या फिर से वही पुरानापन

कुछ ख्वाब सजाओगे आँखों में या जगराते लाए हो

कोरा होगा मन का कागज़ या उभरेंगे कुछ लफ़्ज हसीं

अफ़साना पूरा होगा या खाली दावातें लाए हो

कुछ तो बतलाओ चुप न रहो जख्मों से मेंरे यूं न डरो

जीतेंगी ख़्वाहिशें कुछ अबके या फिर से मातें लाए हो

कुछ और न हो मेरी ख़ातिर इतना तो हो ग़म के मारों का

दामन में दर्द समेट सके क्या वो करामातें लाए हो

— पुष्पा “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है