कविता

नव वर्ष

अभी हुआ है आग़ाज़ साल का

अभी बहुत कुछ कर गुज़रना है

दिल में दबी,सारी ख्वाहिशों को

अपने हौसले से हाँसिल करना है

अनुभव रहा जो पिछले साल का

लेकर सबक अब आगे बढ़ना है

जो न दे पाया,बीता साल तुम को

हर मुकाम वो हाँसिल अब करना है

सजदा करो अब इस नए साल का

हर उम्मीद पर तुम्हें खरा उतरना है

मिसाल कायम करनी है अब तुम को

नई ऊर्जा का संचार जग में करना है

— आशीष शर्मा

आशीष शर्मा 'अमृत'

जयपुर, राजस्थान