लघुकथा

लघुकथा – भविष्य

जाने माने भविष्य वक्ता के घर पर अपना भविष्य जानने के लिए युवाओं की लाइन लगी थी।उसी लाइन में पैंसठ साल की एक बुढ़िया भी खड़ी थी।उसे देखकर भविष्यवक्ता ने कहा-“माता जी अब तो आपकी बारी राम के घर जाने को है ।अब आप अपना क्या भविष्य जानना चाहती हैं?”

        बुढ़िया ने कहा-” क्या बताऊँ पण्डित जी,दूसरों के घर चौका -बर्तन कर अपने दो बेटों को पाल पोस कर बड़ा किया। बड़ा बेटा अधिकारी है ,जो मुझे अब पहचानने से इंकार करता है।उसके ऑफिस जाने पर मुझे कहता है कि बार-बार क्यों आ जाती हो ।तो उसके साथी हँसकर कहते हैं-“अरे यार हो सकता है कि ये बुढ़िया तुम्हारे पिछले जन्म की माँ हो।” मैं कैसे बताऊँ कि मैं ही उसकी माँ हूँ। दूसरा बेटा दुकानदार है । जाने पर मुझे फटकार लगाते हुए कहता है कि “माँ तुम बोहनी के समय मत आया करो ।” यह कहते हुए मेरे हाथों में सौ-पचास रुपये पकड़ा देता है। मैं जानना चाहती हूँ कि मेरे भविष्य में बेटों का सुख  है या नहीं? “

       भविष्यवक्ता यह सुनकर बुढ़िया को कुछ देर देखते रहे फिर निःश्वास भर कर बोले-” माता जी बुजुर्गो का  अब यही भविष्य है।

— डॉ. शैल चन्द्रा

*डॉ. शैल चन्द्रा

सम्प्रति प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक शाला, टांगापानी, तहसील-नगरी, छत्तीसगढ़ रावण भाठा, नगरी जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ मो नम्बर-9977834645 email- [email protected]