कविता

राम सत्य है सदा से

वर्षों   की  तपस्या  का आज  मिला है पावन फल|

सत्य की होती है जीत बाकी सब निरर्थक निष्फल| 

आज सनातनी  एक हुए तो  राममय हुआ संसार|

हर जन-जन,कण -कण में छाई है खुशियां अपार|

कार सेवकों के रुधिर से सना  सरयू का पानी था|

 उनको भूल न जाना जिसका ना कोई सानी था||

उनके ही बलिदानों का अब मिला सुखद परिणाम| 

जय श्री राम के नारो से गूँज  रहा अयोध्या धाम|| 

जब तंबू में थे भगवान राम तब खड़े सब थे मौन |

आज सवाल पूछने वाले तुम बताओ होते हो कौन||

राम से ही होता आरंभ श्री राम से ही होता है अंत|

क्या करें उनकी बखान उनकी महिमा है अनंत||

सोहर या विवाह के गीत सब में होता राम का नाम

उनके नाम के बिना सफल नहीं होता कोई काम|

जय श्री राम जय श्री राम अब बोलो सब अनवरत| 

राम को खुद में रमाओ ये प्रयास करते रहना सतत||

— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com