जय श्री राम
देखकर श्री राम विग्रह, आँख से आँसू बहे,
मन प्रफुल्लित हो गया, आँख से आँसू बहे।
झर रहे अश्रु नयन से, यह ख़ुशी का उद्वेग है,
राम पलकों में बसे, और आँख से आँसू बहे।
मौन मन अधीर होकर, राम को पुकारता,
बन्द आँखों के झरोखे, राम को निहारता।
पुलकित रोम रोम, राम के अहसास से,
दरस को व्याकुल मन, मन ही सँभालता।
— डॉ अ कीर्ति वर्द्धन