मैं पापा की परी हूँ
सब कहते हैं कि मैं पापा की परी हूँ।
पर मेरी दुविधा नहीं जानते
मैं अपने पापा के लिए
कितना चिंतित रहती हूँ
पापा को थोड़ी सी भी देर होती है
तो चिंतित हो जाती हूँ
पापा अभी तक क्यों नहीं आए?
तब पापा घर आकर भोजन करके
सबसे बात करके आराम से
सो नहीं जाते तब तक
मुझे चिंता रहती है
क्योंकि मैं पापा की परी हूँ
जब पापा सुबह उठते हैं
ऑफिस के लिए खुशी-खुशी जाते हैं
तब मुझे चिंता नहीं होती है
पर पापा यदि शाम को आने में
थोड़ी सी भी देर करते हैं
तो मुझे चिंता हो जाती है
जिस दिन पापा आते ही
चुपचाप अपना बैग रखकर
बिस्तर पर सो जाते हैं तो
मैं चिंतित हो जाती हूँ
पापा जब किसी बात पर
चिंता नहीं करते हैं तो
मैं पापा के लिए चिंतित हो जाती हूँ
क्योंकि मेरे पापा हम सबको
बहुत चाहते हैं।
मैं बिटिया हूँ अपने पापा की
सब कहते हैं मैं पापा की परी हूँ
काश मैं पापा की परी बनूँ
एक छड़ी पकडूँ और सारे
दुख दूर कर दूँ।
— मीना दुष्यंत जैन