अंतस् की 54 वीं काव्य-गोष्ठी राम-रंग और राष्ट्र-भक्ति से ओत-प्रोत
विभिन्न विधाओं और रसों का आस्वादन किया उपस्थित कविवृन्द और सुधि श्रोताओं ने अंतस् की उत्कृष्ट 54 वीं अविरल रूप से आयोजित होने वाली गोष्ठी में| वरिष्ठ साहित्यकार डॉ आदेश त्यागी जी की अध्यक्षता और डॉ पूनम माटिया के संयोजन-संचालन में इस गोष्ठी की मुख्य अतिथि रहीं हाजीपुर, बिहार से लोकगीतकार वरिष्ठ कवयित्री डॉ प्रतिभा पाराशर| बतौर विशिष्ट अतिथि शिरक़त की करनाल, हरियाणा से बहुमुखी प्रतिभा के धनी कविवर श्री भारत भूषण वर्मा ने|
सुमधुर सरस्वती वंदना से गोष्ठी का शुभारम्भ किया श्री रामलोचन जी ने | राम आरती से माहोल को राममय कर दिया प्रतिभा पाराशर जी ने| गणतंत्र दिवस और राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के उत्सव को अपनी कविताओं, दोहों, सवैयों, गीत-ग़ज़लों से सराबोर करने वाले कवि-कवयित्री रहे-श्री दुर्गेश अवस्थी, श्री रामलोचन, डॉ नीलम वर्मा, कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, श्री मनोज कामदेव, श्री प्रशांत अवस्थी(कानपुर), श्रीमती सुनीता अग्रवाल, , डॉ सरिता गर्ग | अंतस् की वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमती अंशु जैन और संरक्षक श्री नरेश माटिया की गरिमामयी उपस्थिति और श्रोताओं के भरपूर जोश ने आयोजन को ऊर्जा प्रदान की| अंत में धन्यवाद ज्ञापन अर्पित किया महासचिव श्री दुर्गेश अवस्थी ने|
बानगी के तौर कुछ अंश काव्य-रचनाओं के:-
चहुँ दिशि ही यह नाद है, भारत देश महान।/उत्सव है हर रंग के, दिन-दिन बढ़ती शान।।
घर-घर पूजें राम को, भीतर से अन्जान।/’पूनम’ इच्छा है यही, ख़ुद को लें पहचान।।
अमृत रस बरसाय तब, अंतस् में प्रभु राम।/तुलसी रसना जब जपे, राम-सिया का नाम।।..डॉ पूनम माटिया
लौटे हैं कौशल धाम अभी/बैठे न तनिक श्रीराम अभी/क्यों चिंतित हैं श्रीराम अभी/क्या शेष रहा संग्राम अभी
तुलसी के वंशज बनते हैं/अनगढ़ कविता पर तनते हैं/उनसे होगा संग्राम अभी/लड़ना होगा अविराम अभी..डॉ आदेश त्यागी
पूर्ण हुआ मन्दिर का काम/अब अपने घर आओ राम
दीन-दुखी के पूर्ण सहायक/गुण-अवगुण के तुम निर्णायक
श्रेष्ठ शिखर सबने ही पाया/जप कर एक तुम्हारा नाम…अब अपने घर आओ राम.. — रामलोचन
“राम शान है, राम प्राण है, राम से जग में स्पंदन है।/रामलला के अभिनंदन से, गणतंत्र का वंदन है।।” —– भारत भूषण वर्मा असंध
आज अर्श से कोई, इस ज़मीं पे उतरा है/राम लला सलोना सा, अब अवध ने पाया है..- डॉ नीलम वर्मा
सकल सृष्टि के चालक राम।/मन में बसते बालक राम।
महिती का संकट हरने को।/भू पर आये पालक राम।…….कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव
दीप से दीप को अब जलाएंगे हम/अपने-अपने घरों को सजाएंगे हम
आ रहे हैं सिया संग श्री राम जी/अब सिया राम के गीत गायेंगे हम
मेरे राम प्रभु जी आए हैं
करुणानिधान भगवान राम मेरे उर में आज समाए हैं
मेरे राम प्रभु जी आए हैं ………. दुर्गेश अवस्थी
ओ गंगा की पावन लहरो/हिमगिरी के ऊंचे शिखरो,
कह दो कह दो इस दुनिया से/मेरा देश महान रे, प्यारा हिंदुस्तान रे… सुनीता अग्रवाल
जब सफलता के लिए हैं/द्वार अनगिन खटखटाये
तब स्वाद सुख का चख पाये .. प्रशांत अवस्थी, कानपुर
एकता के हम तराने आज मिलकर गाते हैं।
देश पर मिटने वालों के नाम जुबां पर लाते हैं।।..मनोज कामदेव
पधारो पधारो हे रघुनंदन।/करते हैं दिल से हम अभिनंदन।।
रामराज्य की कल्पना, जगह-जगह है शोर।/राम राम जय राम ही, गूँज रहा चहुँ ओर।.. डॉ प्रतिभा पाराशर
सजग कर लो नयन आपने/ यहाँ श्रीराम आये हैं …….. डॉ सरिता गर्ग