कुण्डली/छंद

कुंडली

राधा बनना चाहती, हर लड़की हर ठौर।
क्या राधे के कष्ट पर, कभी किया है गौर?
कभी किया है गौर, देह बिन नेह निभाना।
बहुत कठिन है काम, यहां राधा बन जाना।
अद्भुत राधे प्रेम, सहे कितनी भव बाधा।
राधे ही हैं कृष्ण, श्याम सुंदर हैं राधा।

राधा बनना चाहती, हर लड़की हर ठौर।
सीता बनकर कष्ट का, कौन रखे सिर मौर।
कौन रखे सिर मौर, कौन अब वन को जाए।
सीता जैसा प्यार, नहीं हिय उनके भाए।
राम सिया का प्रेम, समझतीं सजनी बाधा।
बनने कहतीं कृष्ण, स्वयं बन जातीं राधा।

राधे राधे बोलकर, वृंदावन में डोल।
राधे राधे नाम है , दुनिया में अनमोल।
दुनिया में अनमोल, नाम कान्हा को प्यारा।
हो भव सागर पार, नाम जप जप संसारा।
राधा बिन भगवान, देवकीनन्दन आधे।
अलबेली सरकार, जपे जा राधे राधे।

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश